मन की बीमारी को जानने के सटीक तरीके का करे चुनाव ?
कहते है कि मन बहुत ही कोमल चीज है व्यक्ति के अंदर, इसलिए कभी भी मन को निराश या फिर इसे तकलीफ में नहीं डालना चाहिए। तो आज के इस लेख में भी हम मन के बारे में ही बात करेंगे कि कैसे मन की तकलीफ को हल किया जा सकता है। साथ ही कुछ एक्सपर्ट्स से भी जानेंगे कि कैसे इस परेशानी से हम आसानी से छुटकारा पा सकते है;
मन की बीमारी को जानने के तरीके क्या है ?
मन की बीमारी को जानने के तरीके की अगर बात करे, तो इसमें सबसे पहले तो दोस्तों और गतिविधियों से पीछे हटना शामिल है।
- और दूसरा कई बार महत्वपूर्ण थकान, कम ऊर्जा या नींद न आने की समस्या अगर आपके अंदर है, तो भी आप मानसिक रूप से बीमार होने की कतार में लग सकते है।
- कई बार हम वास्तविकता को स्वीकार नहीं करते तो इससे भी हम जान सकते है, कि हम मानसिक रूप से बीमार है।
मानसिक बीमारी क्या है ?
मानसिक बीमारी क्या है, इसके बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;
- मन की बीमारी में इंसान मन से काफी परेशान रहता है। तो वही मन की बीमारी की अगर बात करे तो ये शारीरिक परेशानियों से अलग होती हैं, क्योंकि शारीरिक परेशानियों में बीमारी की जानकारी पहले उसी शख्स को होती है, जिसे वह बीमारी होती है।
- जबकि मानसिक परेशानियों के साथ कई बार ऐसा नहीं होता। इसकी कई बीमारियां ऐसी हैं जिनके बारे में मरीज को अंदाजा ही नहीं होता कि वह फलां बीमारी का शिकार है।
यदि आप भी मन की बीमारियों के बारे में व इसके इलाज के बारे में अच्छे से जानना चाहते है, तो मानस हॉस्पिटल से अपना उपचार जरूर करवाए व यहाँ के एक्सपर्ट्स डॉक्टर से भी जरूर मुलाकात करे।
मानसिक बीमारी के कितने तरीके है ?
इलाज के रवैये से देखा जाए, तो मन की बीमारी दो तरीके की होती है, जैसे ;
- पहला न्यूरोटिक डिसऑर्डर, इसमें मरीज़ को अपनी बीमारी का ज्ञात होता है, की वो किस तरह की परेशानी का सामना कर रहा है।
- जबकि साइकोटिक डिसऑर्डर, जोकि मानसिक बीमारी का दूसरा तरीका है। इस तरह की बीमारी होने पर व्यक्ति को अपनी बीमारी का पता ही नहीं चलता। या यू कह सकते है की मरीज़ का वास्तविकता से नाता सा टूट जाता है।
मन की बीमारी का इलाज क्या है ?
मन की बीमारी का इलाज एक्सपर्ट्स साइकॉलजिस्ट के द्वारा निम्न तरीके से किया जाता है ;
- मन की बीमारी का इलाज थेरपी और काउंसलिंग दो तरीके से किया है, तो बात करते है इन तरीकों की;
- थेरपी की बात की जाए तो, इसमें दवा और काउंसलिंग दोनों आते हैं। इस इलाज में मरीज की सोच में बदलाव हो, इस पर काम किया जाता है। इसके इलावा अगर कोई शख्स निगेटिव सोच से पीड़ित है, बिना खतरे वाली बातों पर भी बहुत घबरा जाता है, तो फिर थेरपी की जरूरत होती है।
- तो वहीं काउंसलिंग की बात की जाए, तो इसमें दवा नहीं दी जाती। पर यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि काउंसलिंग देने का फायदा मरीज़ को तभी है। जब मरीज काउंसलर की बातों को समझने में सक्षम हो।
उपरोक्त बातों को जान कर मन की बीमारियों का ऐसे होता है इलाज को बेस्ट साइकेट्रिस्ट की मदद से जरूर अपनाए।
निष्कर्ष :
मन की बीमारी को जान कर व इसके इलाज के लिए किसी बेहतरीन साइकॉलजिस्ट के संपर्क में जरूर से आए।