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क्या डिप्रेशन सिर्फ महिलाओं को होता है? एक्सपर्ट से डिप्रेशन से जुड़े 10 मिथक और सच जानिए

September 6, 2025

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दरअसल डिप्रेशन दुनिया भर में सबसे आम मानसिक बीमारियों में से एक है। आज के समय में कई लोग डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं, जो की एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। डिप्रेशन में लोग दिमागी और शारीरिक दोनों रूप से परेशान रहते हैं। डिप्रेशन लोगों की गतिविधियों को भी प्रभावित करता है। हालांकि आपको बता दें कि हमारे समाज में डिप्रेशन को लेकर कई तरह की गलत मिथ फैली हुई हैं, जैसे डिप्रेशन सिर्फ मन का वहम होता है या यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को ही होता है, पर सच्चाई इससे बिल्कुल ही अलग है। डिप्रेशन से जुड़े 10 मिथक और तथ्य क्या हैं? इस लेख के माध्यम से आइये डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 

डिप्रेशन से जुड़े 10 मिथक और सच

डिप्रेशन असली बीमारी नहीं है।

मिथ : डिप्रेशन कोई मेडिकल कंडीशन नहीं है, ऐसा कुछ लोगों का मानना है।उनको लगता है, कि यह एक व्यक्ति की खुद की पसंद है। हालांकि कुछ लोग डिप्रेशन को महज ज्यादा दुखी और उदासी के रूप में देखते हैं।

सच : आमतौर पर डिप्रेशन को उदासी या कमजोरी के रूप में अक्सर गलत समझा जाता है, पर यह उससे भी कई ज्यादा होता है। दरअसल सच तो यह है, कि डिप्रेशन एक असली और बहुत ही गंभीर मानसिक बीमारी है। जो आमतौर पर व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को बहुत ही ज्यादा प्रभावित करती है। 

दवाएं ही डिप्रेशन का सबसे असरदार इलाज हैं।

मिथ : कुछ लोगों का मानना है, कि एंटीडिप्रेसेंट दवाओं से ही डिप्रेशन का इलाज होता है। आमतौर पर एंटीडिप्रेसेंट दवाएं या अवसादरोधी दवाएं जो की डिप्रेशन के लक्षणों का उपचार करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। व्यक्ति के मूड और भावनाओं को कण्ट्रोल करने में यह दवाएं बहुत ज्यादा मदद करती हैं।

सच : यह ठीक है की कुछ मामलों में दवाएं मददगार होती हैं, पर डिप्रेशन के लिए एंटीडिप्रेसेंट एकमात्र इलाज नहीं है। दरअसल डिप्रेशन की हर स्थिति में ये दवाएं काम नहीं करती हैं। आमतौर पर डॉक्टर भी डिप्रेशन के लिए बहुत कम दवाओं को लिखते हैं, 

हालांकि थेरेपी जीवनशैली में बदलाव और सपोर्ट सिस्टम भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। 

ट्रामा ही डिप्रेशन का कारण है।

मिथ : दरअसल कुछ लोगों का मानना है कि डिप्रेशन सिर्फ ट्रॉमा से होता है, जैसे की किसी अपने को खोना, हिंसा या फिर दुर्घटना के कारण हो सकता है। 

सच : असल में डिप्रेशन की एक वजह ट्रामा हो सकता है, पर एकमात्र यही कारण नहीं। एक व्यक्ति को डिप्रेशन होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे की हार्मोनल बदलाव, जेनेटिक फैक्टर, ब्रेन केमिस्ट्री और जीवनशैली से संबंधित समस्याएं।

डिप्रेशन बदलाव का एक दौर होता है।

मिथ : युवाओं में भावनात्मक बदलाव, गुस्सा, नींद ज्यादा आना और चिड़चिड़ापन सिर्फ बदलाव का एक हिस्सा होता है, आपको बता दें कि डिप्रेशन के मामले में यह भी एक मिथ है। यानी कि युवा पीढ़ी में भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक तौर पर एक बदलाव आता है या फिर मुश्किल समय आता है। यह सिर्फ उनके जीवन का एक हिस्सा है। 

सच : हां वयस्कों में डिप्रेशन ज्यादा देखा गया है, यह बात सच है। आमतौर पर 12 से 17 की उम्र के वयस्कों में डिप्रेशन की संख्या बहुत ज्यादा है। हालांकि जब वयस्कों में उदासी, इरिटेशन और नाखुशी ज्यादा लंबे समय तक रहे और इस तरह के लक्षण व्यक्ति की आम दिनचर्या पर असर डाले, तो यह डिप्रेशन की शुरुआत की निशानी हो सकती है। आपको बता दें कि यह सिर्फ एक बदलाव नहीं बल्कि एक गंभीर समस्या हो सकती है।

डिप्रेशन सिर्फ महिलाओं में होता है।

मिथ : आमतौर पर समाज में इस तरीके के भी मिथ है कि डिप्रेशन सिर्फ और सिर्फ महिलाओं ही होता है, और पुरुष इस से नहीं गुजरते हैं। 

सच : बता दें कि कोई भी व्यक्ति डिप्रेशन की स्थिति से गुजर सकता है। पर हां यह हो सकता है कि पुरुषों और महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण अलग-अलग हों। आमतौर पर पुरुषों में डिप्रेशन के लक्षण ज्यादा गुस्सा, चुप रहना या फिर नशे की तरफ झुकाव आदि यह हो सकते हैं। 

तो वहीं इसकी दूसरी तरफ, डिप्रेशन के लक्षण महिलाओं में ज्यादा भावनात्मक रूप में दिखाई देते हैं। दरअसल डॉक्टरों का भी यही कहना है, कि एक बच्चे को जनम देने के बाद महिलाओं को पोस्टमार्टम डिप्रेशन भी होता है। आमतौर पर इसमें महिलाओं को तनाव, थकान और लो मूड बना रहता है।

डिप्रेशन आनुवांशिक होता है।

मिथ : समाज में कुछ लोग यह भी मानते हैं, कि अगर परिवार में किसी को डिप्रेशन की समस्या हुई है, तो यह अगली पीढ़ी को भी  हो सकता है। 

सच : हाँ अगर परिवार में किसी को डिप्रेशन की समस्या रही हो, तो अगली पीढ़ी को डिप्रेशन की समस्या हो सकती है पर इस की 100 प्रतिशत गारंटी नहीं हो सकती। आमतौर पर डिप्रेशन में जेनेटिक्स के अलावा वातावरण, मनोवैज्ञानिक और वंशानुक्रम जैसे फैक्टर शामिल होते हैं। 

ज्यादा व्यस्त रहने से डिप्रेशन ठीक हो जाता है।

मिथ : दरअसल यह लोगों द्वारा बनाई गयी एक मिथक है, की अपने आप को बिजी रखने से डिप्रेशन दूर हो जाता है। 

सच : आमतौर पर ज्यादा व्यस्त रहना एक अस्थायी इलाज हो सकता है, पर यह डिप्रेशन का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। हालांकि अगर किसी को डिप्रेशन जैसी समस्या है, तो वह ज्यादा कसरत करें और अपने परिवार के साथ या फिर अपने दोस्तों के साथ वक्त बिताएं। इसके साथ ही मनपसंद एक्टिविटीज, और इसके लिए थेरेपी ज्यादा प्रभावी इलाज है।

डिप्रेशन के बारे में बात करना सही नहीं है।

मिथ : दरअसल कुछ लोगों का यह भी कहना है कि डिप्रेशन के बारे में ज्यादा बात करना सही नहीं है, यह डिप्रेशन को और ज्यादा बढ़ावा देता है। इसकी वजह से ही काफी लोग डिप्रेशन के बारे में खुल कर बात ही नहीं करते है। 

सच : ऐसा बिलकुल भी नहीं है, आपको डिप्रेशन के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। अगर व्यक्ति इसके बारे में बात करेगा तो उसको इसे कम करने में मदद मिल सकती है। आमतौर पर जब व्यक्ति अपने परिवार, दोस्त या एक्सपर्ट से अपनी डिप्रेशन की स्थिति के बारे में खुलकर बात करेगा, तो वे इलाज की ओर अपना पहला कदम बढ़ा सकेगा। 

डिप्रेशन सिर्फ युवाओं को ही होता है।

मिथ : समाज में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि डिप्रेशन आमतौर पर बच्चों, टीनएजर्स या किशोरावस्था के मुकाबले युवाओं में ज्यादा होता है।

सच : असल में लोगों को किसी भी उम्र में डिप्रेशन हो सकता है। आमतौर पर यह स्थिति बच्चे, किशोर, युवा और बुजुर्ग सभी को हो सकती है। बता दें कि उम्र एक कारक हो सकती है, पर इसकी कोई गारंटी नहीं।

हर्बल सप्लीमेंट से डिप्रेशन का इलाज किया जाना संभव है।

मिथ : आमतौर पर कुछ लोगों का मानना है, कि डिप्रेशन का इलाज आयुर्वेदिक या हर्बल सप्लीमेंट से हो सकता है। 

सच : आपको बता दें की कुछ हर्बल सप्लीमेंट व्यक्ति का मूड सुधारने में मदद कर सकते हैं, पर आमतौर पर हर्बल सप्लीमेंट को डॉक्टर की सलाह के बिना लेना आपके लिए जोखिम भरा हो सकता है। आप अपने डिप्रेशन के इलाज के लिए किसी साइकोलोजिस्ट से ही सलाह लें। 

निष्कर्ष

दुनिया भर में डिप्रेशन सबसे आम मानसिक बीमारियों में से एक है। डिप्रेशन एक मन का वहम नहीं है, और न ही यह एक मूड स्विंग है। दरअसल यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। डिप्रेशन से जुड़े कई मिथक हैं, जिसकी वजह से कई लोग समय रहते अपना सही इलाज नहीं करावा पाते। और भीतर ही भीतर इससे जूझते रहते हैं। जो आगे चलकर सही साबित नहीं होता। इसलिए हमारे लिए जरूरी है की हम लोगों द्वारा बनाये गए मिथकों को दूर करें और अपने मानसिक स्वास्थ्य को बड़ी गंभीरता से लें। यह बहुत ही जरूरी है कि जितनी अहमियत शारीरिक सेहत को दी जाती है, उतनी ही मानसिक सेहत को दी जाये। अगर आप या आपका करीबी कोई डिप्रेशन की समस्या से लड़ रहा है, तो आप खुद की और उसकी सहायता करें। आप अपने करीबी से बात करें और उसका इलाज करवाएं। अगर आपको भी डिप्रेशन जैसी कोई समस्या है और आप इस समस्या से काफी ज्यादा परेशान हैं और आप इस समस्या से बाहर नहीं निकल पा रहें है तो आप आज ही मानस अस्पताल जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके इलाज के बारे में जानकारी ले सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न 1. महिलाओं में डिप्रेशन का प्रमुख कारण क्या है?

दरअसल महिलाओं में डिप्रेशन का प्रमुख कारण हार्मोनल बदलाव हो सकता है। महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कई कारण हो सकते हैं, जैसे गर्भावस्था और मासिक धर्म आदि।

प्रश्न 2. क्या डिप्रेशन पागलपन होता है?

नहीं, डिप्रेशन पागलपन नहीं होता है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या होती है, जिस को इलाज से सही किया जा सकता है। 

प्रश्न 3. बिना दवाई के डिप्रेशन कैसे ठीक करें?

डिप्रेशन को बिना दवा के ठीक करने के लिए आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करें, जैसे कि, पर्याप्त नींद को लें, सही डाइट को अपनाएं और नशीली दवाओं का सेवन बिलकुल न करें। ऐसा करने पर इस को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।