Blog


Uplift Your Mental Health With These Natural Ways

मानसिक स्वास्थ्य को बढावा कैसे दिया जा सकता है ?

January 22, 2024

680 Views

मानसिक स्वास्थ्य का ठीक रहना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है, क्युकि दिमाग अगर व्यक्ति का संतुलित रहेगा तो व्यक्ति अपने आप हर कार्य करने में संतुलित हो पाएगा। वहीं मानसिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में चर्चा करेंगे ; 

मानसिक स्वास्थ्य क्या है ?

  • मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करने में यह कहा जा सकता है, कि इससे, एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, यह आत्मविश्वास आता कि वे जीवन के तनाव के साथ सामना कर सकते है, उत्पादकता काम और अपने या अपने समुदाय के लिए एक योगदान करने में सक्षम हो सकते है। 
  • इस सकारात्मक अर्थ में यह भी माना जा सकता है, कि इस दुविधा से लड़कर और जीतकर मानसिक रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति अच्छी तरह से किसी भी कार्य को कर सकता है। अतः यह एक समुदाय के प्रभावी संचालन के लिए नींव का कार्य करते है।

क्यों महत्वपूर्ण है मानसिक स्वास्थ्य ?

  • शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य का आपस में निकट का संबंध है और यह निस्संदेह रूप से सिद्ध हो चुका है कि अवसाद के कारण हृदय और रक्तवाहिकीय रोग होते है।
  • मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी बर्तावों जैसे, समझदारी से भोजन करने, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, सुरक्षित यौन व्यवहार, मद्य और धूम्रपान, चिकित्सकीय उपचारों का पालन करने आदि को प्रभावित करते है और इस तरह शारीरिक रोग के जोख़िम को बढ़ाते है।
  • मानसिक अस्वस्थता के कारण सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती है जैसे, बेरोजगार, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का दुर्व्यसन और संबंधित अपराध।
  • मानसिक अस्वस्थता रोगनिरोधक क्रियाशीलता के साथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
  • अवसाद से ग्रस्त चिकित्सकीय रोगियों का हाल बिना अवसाद से ग्रस्त रोगियों से अधिक बुरा होता है।
  • लंबे चलने वाले रोग जैसे, मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग अवसाद के जोखिम को बढ़ाते है।

मानसिक रूप से अस्वास्थ्य होने पर आपको लुधियाना में बेस्ट साइकेट्रिस्ट को चुनना चाहिए।

मानसिक रोग के कारण क्या है ?

  • रोगों का संबध मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स नामक विशेष रसायनों के असामान्य संतुलन से पाया गया है। न्यूरोट्रांसमिटर्स मस्तिष्क में नाड़ी कोशिकाओं को एक दूसरे से संचार करने में सहायता करते है। यदि ये रसायन असंतुलित हो जाएं या ठीक से काम न करें, तो संदेश मस्तिष्क में से सही प्रकार से नहीं गुजरते है, जिससे मानसिक रोग के लक्षण उत्पन्न हो जाते है।
  • कई मानसिक रोग वंशानुगत होते है, जिससे लगता है कि ऐसे लोगों में जिनके परिवार का कोई सदस्य मानसिक रोग से ग्रस्त होता है, मानसिक रोग होने की संभावना अधिक होती है। रोग ग्रस्त होने की संभावना परिवारों में जीनों के द्वारा संचरित होती है। विशेषज्ञ मानते है कि कई मानसिक रोगों का संबंध एक ही नहीं बल्कि अनेक जीनों के विकारों से होता है। यही वजह है कि कोई व्यक्ति मानसिक रोग से ग्रस्त होने की संभावना को आनुवंशिक रूप से प्राप्त करता है लेकिन उसका रोग से ग्रस्त होना आवश्यक नहीं है। मानसिक रोग स्वयं बहुत सारी जीनों और अन्य कारकों की अंतर्क्रिया के कारण होता है। 
  • कुछ संक्रमणों का संबंध मस्तिष्क की चोट और मानसिक रोग के विकास या उसके लक्षणों के बिगड़ने से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए, स्ट्रेप्टोकॉकस जीवाणु से संबंधित बालकों की स्वतः रोगसक्षम नाड़ी मानसिक विकार नामक एक अवस्था का संबंध बच्चों में एक ऑब्सेसिसव-कम्पल्सिव विकार और अन्य मानसिक रोगों के विकास से जोड़ा गया है।
  • मस्तिष्क के कतिपय क्षेत्रों में विकारों या उन्हें चोट लगने का संबंध भी कुछ मानसिक रोगों से जोड़ा गया है।

मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति को अपना उपचार पंजाब में मानसिक रोग विशेषज्ञ से करवाना चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य को और कैसे बढ़ा सकते है ?

भोजन और व्यायाम का ध्यान रखें :

सही वक़्त पे और संतुलित आहार लेना हमारे शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वाथ्य के लिए भी ज़रूरी है, मोटापे से अक्सर व्यक्ति का आत्म विश्वास कम होता है जो आगे चलकर अवसाद का कारण भी बन सकता है, वज़न को कायम रखने और चुस्ती फुर्ती बनाये रखने के लिए नियमित व्यायाम भी ज़रूरी है। व्यायाम करने पर हमारा शरीर एंडोर्फिन नामक एक रासायनिक तत्व की उत्पत्ति करता है, एंडोर्फिन को “हैप्पी हॉर्मोन” भी कहा गया है क्यूंकि ये हमारे मन को खुशगवार बनाये रखने में सहायक होता है।  वहीं एक शोध में ये बात सामने आई है की उचित आहार और नियमित व्यायाम हमारी मानसिक क्षमता और आयु को बढ़ाते है, इसलिए मानसिक स्वास्थय कि शुरुआत शारीरिक स्वास्थ्य से ही करनी होगी।

शारीरिक विश्राम को भी दें महत्व :

हम रोज़ अपने शरीर को अनेक तरीकों से थकाते है, यहां तक की मानसिक परिश्रम भी शरीर और मन दोनों में तनाव पैदा करता है, ऐसे में शरीर और मन को उपयुक्त विश्राम देना ज़रूरी है, रोज़ 6 से 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है, अगर संभव हो तो दोपहर में भी आधा-पौना घंटे की नींद लें, इससे हमारे शरीर और मन दोनों की सेहत पे सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसके अलावा योग और ध्यान के अनुसरण से भी हम शरीर को आराम दे सकते है। 

अपनों के साथ समय बिताएं :

हम सभी जीवन के कार्य कलापों में सदेव उलझे रहते है, और हर दिन इसी दौड़ भाग में निकल जाता है और हम शिकायत ही करते रह जाते है कि खुद के लिए वक़्त ही नहीं मिलता, यदि हम इसका महत्व समझें तो अपनी रोज़ की दिनचर्या से कुछ समय खुद के लिए और अपने परिवार के लिए निकालना कोई बड़ी बात नहीं है। रोज़ कुछ वक़्त अपने जीवन साथी के साथ बिताएं, अपने दिन कि चर्चा करें, बच्चों के जीवन में क्या चल रहा है उसे भी जानने की कोशिश करें।

डायरी लिखना शुरू करें :

हम दूसरों के व्यवहार और स्वभाव को बहुत जज करते है, पर स्वयं के बारे में बहुत काम जानते है. ऐसा इसलिए क्यूंकि हम कभी अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाएं के बारे में गंभीरता से नहीं सोचते। इसका नतीजा ये होता है कि हम अपनी कमियों को समझ नहीं पाते और उन्हें बार-बार दोहराते रहते है। इसलिए इससे बचने के लिए आपको प्रतिदिन डायरी लिखना चाहिए, ऐसा इसलिए क्युकी यह एक अच्छी आदत है जो हमें खुद को और जानने में भी सहायता करती है। साथ ही ऐसा करने से हम स्वयं ही अपनी नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित कर सकते है। 

सामाजिक गतिविधियों में लें भाग :

हम सभी को जीवन में बहुत से लोगों का साथ चाहिए होता है, ये साथ कभी हमारा मार्गदर्शन करता है, तो कभी और बेहतर करने की प्रेरणा देता है। समाज से दूर रहके कोई व्यक्ति कभी सुखी नहीं रहा है। वहीं मानसिक स्वास्थ्य पाने के लिए व्यक्ति को अपने समाज में होने वाले अनेक अवसरों में बढ़-चढ़ के हिस्सा लेना चाहिए। 

नकारात्मकता से बचें :

इंसान अकसर जो उसके पास है उसकी कदर न करके बल्कि जो उसका है ही नहीं उसके पीछे भागता है, जिससे होता ये है की व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वास्थ्य हो जाता है। और गलत भावनाओं को सोचने लगता है। 

बुरी आदतों का त्याग करें :

अक्सर लोग तनाव से बचने के लिए सिगरेट, शराब जैसे नशे की लत्त पाल लेते है, वह ये मान लेते है की ये नशा ही उनकी परेशानियों और ग़मों का इलाज है। जबकि सच तो ये है कि नशे से न सिर्फ हमारी बल्कि हमसे प्यार करने वालों की परेशानियां भी बढ़ती है।

आपको जो पसंद है उसको बाहर लेकर आए :

हम सभी के अलग-अलग शौक होते है, जो प्रायः उम्र और व्यस्तता के कारण हमसे छूटते जाते है, ये शौक हमारे व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण अंग होते है, जो हमें कभी नहीं गवाना चाहिए, इन्हे अपनाने से न सिर्फ हम खुद के और करीब होते है, बल्कि अपनी रचनात्मकता को और बढ़ाने में सफल होते है। साथ ही हम हमारे जैसी ही रूचि रखने वाले अन्य लोगों से भी मिल सकते है। 

परेशान होने पर अपनों की राय ले:

अक्सर हम अपनी परेशानियों में स्वयं ही घुटते रहते है और हमारे आस-पास मौजूद लोगों को इसकी भनक तक नहीं होती। कभी शर्मिंदगी तो कभी मदद न मिलने की उम्मीद से हम अपनी तकलीफें खुद तक ही रख लेते है। परन्तु सच तो ये है कि कई बार हमारे अपने हमारी सोच से परे हमारी मदद कर देते है। इसके अलावा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने पर ही अक्सर हम बेहतर महसूस करते है और उन्हें खुलके कह देने के बाद पहाड़ सी लग रही समस्या भी सामान्य लगने लगती है और उससे झूझने की हिम्मत भी मिल जाती है। 

ज़रुरत पड़ने पर मनोचिकित्सक से लें परामर्श :

यदि सभी प्रयत्न करने पर भी आप अपनी परेशानी को दूर करने में असफल रहे है, तो किसी मनोचिकित्सक से परामर्श लेने से न हिचकिचाएं। 

उपरोक्त तरीकों को अपनाकर आप मानसिक स्वास्थ्य को हासिल कर सकते है, वहीं व्यक्ति मानसिक रूप से स्वास्थ्य रहें इसके लिए सरकार की तरफ से भी कुछ काफी कुछ किया गया है। जैसे मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर जगह-जगह पोस्टर और बैनर लगवाए और इंटरनेट के माध्यम से उसे दूर-दूर तक फैलाया ताकि व्यक्ति जागरूक हो सकें। 

मानसिक स्वास्थ्य विकास के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

अगर आप मानसिक रूप से पूरी तरह से खुद को अस्वास्थ्य समझ रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको मानस हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए, क्युकि यहाँ पर अनुभवी डॉक्टरों के द्वारा मरीज़ का इलाज किया जाता है। 

निष्कर्ष :

मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह से बढ़ाया जा सकता है, इसके बारे में हम आपको उपरोक्त बता चुके है, लेकिन अगर ये उपाय भी काम न आए तो इसके लिए आपको डॉक्टर के सम्पर्क में आना चाहिए।