
लोगों की शर्म और सामाजिक चिंता के बीच में क्या अंतर है? जाने
आज के समय में लोग अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से जीना चाहते हैं और कई लोग समाज की वज़ह से अकेले में वक्त बिताना ज्यादा पसंद करते हैं। और आज के तेज़ रफ़्तार वाले वक़्त में लोग सोशल कनेक्शन बनाना अधिक पसंद करते हैं और कुछ भी ऐसे भी होते हैं जो समाज के सामने नहीं आते हैं वह मंच पर बोलने से घबराते हैं, ये स्थिति ‘शर्मीलेपन के सामन्या होती है पर इसके बढ़ने पर ये ‘सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर’ का रूप भी ले लेती है, जो आगे जाकर एक चिंता विष्य बन जाता है। हालाँकि कई बारी लोग इन दोनों को आपस में जोड़ते हैं और एक दूसरे के साथ ही इस्तेमाल करते हैं पर ऐसा नहीं है ये दोनों अलग हैं, एक समय के लिए इनको समझना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है। आईये समझते हैं की,
शर्मीलापन और सोशल एंगजाइटी आख़िर क्या होता है?
अक्सर ये देखा जाता है की “शर्म” शब्द और “सामाजिक चिंता” को लोग एक ही स्थान पर इस्तेमाल करते हैं क्योंकि दोनों में असहजता महसूस करना शामिल होता है।
शर्माना क्या होता है
आज कल के लोगों में कई तरह की समस्या देखी जाती हैं और ऐसी ही एक समस्या जिसको शर्म या लोगों से शर्माना कहा जाता है। शर्मीलेपन को व्यक्तिगत गुण के रूप में देखा जा सकता है, ऐसा तब होता है जब घर में कोई नया मेहमान आया हो या फिर हम बाहर किसी नए इंसान से मिलते हैं और सार्वजनिक जगहों पर बोलने से पहले बहुत बार सोचते हैं। इस स्थिति में ऐसा होता है की जब हम पहली बार किसी से मिलते हैं तो उससे कुछ बोलने से घबराते हैं और सोचते हैं, जब उस व्यक्ति से परिचित हो जाते हैं तो वह सामान्य रूप से एक दूसरे से बात कर सकते हैं, शर्म कुछ दिनों बाद ठीक हो जाती है परिस्थितियों के अनुसार ढल जाते हैं। जिसको हम जानते हैं और जो व्यक्ति अनजान हो उसके साथ बात करते वक्त शर्माना लक्षण हो सकता है।
अगर लोगों से शर्माना अधिक समय तक इंसान के अंदर रहे तो ये स्थिति चिंताजनक हो जाती है और से होली होली सामाजिक चिंता का रूप ले लेती है जो कि बहुत ज्यादा गंभीर होती है, और इस तरीके की सामाजिक स्थिति में लोगों के अंदर डर और उससे बचने का अनुभव कराती है। ज्यादा शर्मिलापन लोगों के रिश्तों को प्रभावित कर सकता है और इससे बच्चों को किशोरावस्था में दोस्ती करना और स्कूल में समाज में घुलने मिलने में मुश्किल आ सकती है।
सामाजिक चिंता क्या है
सामाजिक चिंता वाले लोग समाज के सामने आने से बहुत ज्यादा घबराते हैं, और लोगों से बातचीत करने पर भी अपने दिमाग को बहुत ज्यादा तकलीफ देते हैं। अगर उनके पास कोई ऐसी स्थिति आ जाये जिससे की उनको अपन आप को समाज के सामने रखना है अपने आप को मंच पर लाना है और भाषण देना है तो ऐसे व्यक्ति सिर्फ घबराहट महसूस नहीं करते वह कई सोच मैं पड़े रहते हैं इसके बारे मैं सोच सोच के वह अपनी नींद को भी खो देते हैं और महीनों हफ़्तों टक्क इसके बारे में चिंतित रहते हैं और उसके डर की स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है चिंता के तीव्र लक्षण दिल की धड़कनों का तेज़ होना, सासों का तेज़ी से फूलना, पसीना आना और कांपना आदि शामिल होता है, इसके दौरान व्यक्ति ये सभी चीजें महसूस करता है।
ऐसे में लोगों को महसूस होता है की समय के साथ साथ उनकी चिंता पहले से ज्यादा बेकार और बदतर हो गयी है और इसकी पहचान करना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि ये शर्मीलापन कभी भी सामाजिक चिंता में बदल सकता है। सामाजिक चिंता गंभीर और सामाजिक स्थितियों से बचना शामिल हो सकता है।
शर्मीलापन और सामाजिक चिंता डिसऑर्डर में अंतर
- व्यक्ति का शर्माना एक आम व्यक्तित्व गुण है, जबकि सामाजिक चिंता डिसऑर्डर एक मानसिक परिवर्तन है।
- शर्मीलापन हल्का और मध्यम हो सकता है, जबकि सामाजिक चिंता बहुत ज़्यादा गंभीर और रोज़ाना के कामों और गतिविधिओं को प्रभावित करता है।
- आम तोर पर शर्मीलापन होली होली ठीक हो जाता है और लोगों से बातचीत करने के बाद मानसिक सिथिति ठीक रहती है, सामाजिक चिंता में व्यक्ति को इलाज की बहुत ज़्यादा जरूरत पड़ती है।
- शर्मीलेपन में व्यक्ति को बस थोड़ी सी घबराहट और सोच में पड़ सकता है, हालांकि सामाजिक चिंता में ऐसा नहीं है सामाजिक चिंता में व्यक्ति सामाजिक स्थितियों से पुरे तरीके से दूर रहने लगता है।
- किसी का शर्मीलापन दूर करना है तो उसको थेरेपी की जरूरत नहीं होती है, जबकि सामाजिक चिंता मैं व्यक्ति को थेरेपी की जरूरत पड़ती है।
निष्कर्ष :
अक्सर लोग इस चीज़ का शिकार रहते हैं पर वह शर्म और सामाजिक चिंता को एक नज़र से देखना शुरू कर देते हैं पर दोनों बहुत अलग है, शर्मीलापन में इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है कियोंकि वह लोगों से बातचीत करके ठीक हो जाता है, पर सामाजिक चिंता में ऐसा बिलकुल भी नहीं है व्यक्ति समाज की प्रस्तिथिओं से दूर भागता है, और किसी से बात नहीं करना चाहता ऐसे में उसको थेरेपी की जरूरत पड़ती है अगर फॅमिली मेम्बर या आपको इस तरिके की कोई समस्या है जिसके बारे में आप अच्छे तरीके से जानना चाहते हैं और इसका इलाज करवाना चाहते हैं तो आप मानस असपताल जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं, और इसके विशेषज्ञों से जानकारी और इसका इलाज करवा सकते हैं।