
बाइपोलर डिसऑर्डर में उम्र बढ़ने के साथ मुश्किलें क्यों बढ़ जाती हैं? डॉक्टर से जानें
बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है ?
बाइपोलर डिसऑर्डर जिसको पहले मैनिक-डिप्रेसिव बीमारी या मैनिक डिप्रेशन के नाम से भी जाना जाता था। यह एक मानसिक स्थिति है जो बहुत ज़्यादा मूड स्विंग होने का कारण बनती है, जिसमें कई व्यक्तियों को उम्र बढ़ने के साथ-साथ मूड में तेजी से बदलाव और मानसिक स्थिति में उतार चढ़ाव का महसूस होना शुरू हो जाता है। जिनको उन्माद या हाइपोमेनिया भी कहा जाता है, इस तरिके के बदलाव घंटों, दिनों, हफ्तों या महीनों तक रह सकते हैं और आपके कार्यों को करने की क्षमता को बिगाड़ सकते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर के कई प्रकार होते हैं जिसमें आप मूड में महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव होने का अनुभव हो सकता है जैसे कि हाइपोमेनिक/ मैनिक और अवसादग्रस्त एपिसोड।
बाइपोलर डिसऑर्डर में वियक्ति की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती है यह उससे ही जुड़े बाइपोलर डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है। जब आप उदास हो जाते हैं, उदास या निराश महसूस कर सकते हैं और ज्यादातर गतिविधियों में दिलचस्पी या आनंद खो सकते हैं। इसके साथ आपका लाइफस्टाइल भी प्रभावित हो सकता है। बाइपोलर डिसऑर्डर में वियक्ति कभी तो ज्यादा उदास और कभी तो ज्यादा खुश महसूस कर सकता है जिसकी वजह से वह चिड़चिड़ा हो जाता है। यह मूड स्विंग नींद, ऊर्जा, गतिविधि, निर्णय, व्यवहार और स्पष्ट रूप से सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। जो कोई भी वियक्ति इस तरिके की बीमारी से पीड़ित होता है, उसके घरवालों को चाहिए की उस व्यक्ति को स्पोर्ट और उसके साथ रहें। इस तरीके की समस्या व्यक्ति को डिप्रेशन और मेनिया का शिकार हो सकता है। अगर व्यक्ति को इसका ट्रीटमेंट जल्दी न दिया जाये तो ये एक गंभीर बीमारी का रूप भी धारण कर सकती है
आम तोर पर जिस तेज़ी लोगों की उम्र बढ़ती है उतनी ही तेज़ी से उनको मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उम्र के साथ बाइपोलर डिसऑर्डर क्यों बिगड़ता है?
आम तोर पर इसमें व्यक्ति की मानसिक स्थिति तेजी से बदलती है, कभी वह बहुत ही जयादा एनर्जेटिक, आत्मविश्वासी और बहुत ही तेज बोलने वाला हो जाता है, और कभी बहुत ज़्यादा दुखी, थका हुआ और उदास हो जाता है। इसको मैनिक और डिप्रेसिव कहा जाता है, बाइपोलर डिसऑर्डर को “मूड डिसऑर्डर” भीबोला जाता है। ये वियक्ति के काम, करियर, रिश्तों को भी प्रभावित करता है। बाइपोलर डिसऑर्डर में मुश्किलें क्यों बढ़ती हैं।
1. ब्रेन में केमिकल का बदलाव होना
न्यूरोट्रांसमीटर्स जैसे सेरोटोनिन, डोपामिन और नॉरएपिनेफ्रिन ये केमिकल व्यक्ति के दिमाग में मौजूद होते हैं और ये व्त्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ उसके ब्रेन में मौजूद इन केमिकल का लेवल बदलने लगता है, और ये व्यक्ति के मूड को कंट्रोल करने में मदद करते है, और जब ये केमिकल अंसतुलित होने लगते हैं तो बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण व्यक्ति में तेजी से दिखाई देने लग जाते हैं।
2. डिमेंशिया का खतरा बढ़ना
बाइपोलर डिसऑर्डर व्यक्ति की याददाश्त, निर्णय लेने की क्षमता और व्यवहार पर असर डालती है जिससे की ये इसके लक्षणों को और जटिल बना देता है और इसके साथ ही इसके कारण लोगों में डिमेंशिया होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
3. दवाओं का कम असर
उम्र बढ़ने के साथ साथ बाइपोलर डिसऑर्डर की दवाइयां उतनी प्रभावी नहीं हो पाती हैं क्योंकि उम्र के साथ शरीर की दवाइयों को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है।
4. दवाओंं के असर
कुछ दवाइयों के असर से भी बाइपोलर लक्षण बढ़ सकते हैं क्योकि जब व्यक्ति की उम्र तेज़ी से बढ़ने लगती हैं तो बुज़ुर्ग लोगों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉइड, या न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आम हो जाती हैं जिससे की वह दवाइयां लेना सुरु कर देते हैं और इससे ही ये बाइपोलर लक्षणों को बढ़ावा मिलता है।
5. अकेलापन
लोगों की उम्र बढ़ने के साथ साथ ही उनका सामाजिक दायरा भी सीमित हो जाता है। और जॉब से रिटायरमेंट, और बच्चों का दूर जाना ये घटनाएं मानसिक तनाव को बढ़ा देती हैं जिससे की बाइपोलर एपिसोड्स को ट्रिगर हो सकता है।
निष्कर्ष :
अगर आपको या आपके परिवार में किसी भी मेंबर को उम्र बढ़ने के साथ साथ बाइपोलर डिसऑर्डर की परेशानी हो रही है और आप इसके लक्ष्णों को महसूस कर पा रहें है और आप जल्दी से जल्दी इसका इलाज करवाना चाहते हैं, या इसके बारे में जानकारी लेना चाहते हैं तो आप मानस हॉस्पिटल्स जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं, और इसके माहिरों से इसके इलाज और जानकारी ले सकते हैं।